न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई 14 मई 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे, जब वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना सेवानिवृत्त होंगे। यह नियुक्ति न्यायपालिका में विविधता और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
1. दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति गवई दलित समुदाय से आने वाले दूसरे व्यक्ति होंगे जो भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। उनसे पहले न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन ने यह पद संभाला था। उनकी नियुक्ति न्यायपालिका में सामाजिक प्रतिनिधित्व के महत्व को रेखांकित करती है।
2. संक्षिप्त कार्यकाल
न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा, क्योंकि वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। हालांकि यह अवधि छोटी है, लेकिन उन्हें न्यायपालिका में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है।
3. न्यायिक करियर की शुरुआत और प्रगति
उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में 2003 में नियुक्त हुए। इसके बाद, 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उनका न्यायिक करियर विविध और समृद्ध अनुभवों से भरा हुआ है।
4. महत्वपूर्ण निर्णयों में भूमिका
न्यायमूर्ति गवई ने कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई के मामलों में सरकार को फटकार लगाई और कानून के शासन और उचित प्रक्रिया के महत्व को रेखांकित किया। इसके अलावा, उन्होंने आरक्षण नीति में ‘क्रीमी लेयर’ की पहचान की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
5. न्यायिक सहायता के लिए प्रयास
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में, न्यायमूर्ति गवई ने मणिपुर में मुफ्त कानूनी सहायता और चिकित्सा शिविरों का उद्घाटन किया, जिससे विस्थापित लोगों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सहायता मिली। उनके प्रयास न्याय तक पहुंच को सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।