कांचा गाचीबोवली: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से कहा—”100 एकड़ भूमि की स्थिति बहाल करें, अन्यथा अधिकारी जेल जाएंगे”
तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि 100 एकड़ भूमि की मूल स्थिति को बहाल करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके साथ ही, राज्य के वन्यजीव वार्डन को प्रभावित वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।
न्यायालय की सख्त चेतावनी
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि राज्य सरकार स्थिति बहाल करने का विरोध करती है, तो संबंधित अधिकारियों को “अस्थायी जेल” भेजा जा सकता है। इसके अलावा, अदालत ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक क्षेत्र में एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि सभी विकास गतिविधियाँ रोक दी गई हैं और जो भी त्रुटियाँ हुई हैं, वे “ईमानदार और अनजाने में” थीं। हालांकि, जब अदालत ने पूछा कि क्या पेड़ काटने से पहले अनुमति ली गई थी, तो उन्होंने कहा कि “हां, कुछ पेड़ों को छोड़कर”। उनके अनुसार, लगभग 1300 पेड़ों को स्वयं-प्रमाणन के तहत छूट दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
न्यायमूर्ति गवई ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि क्या यह सुप्रीम कोर्ट के 1996 के आदेश के बावजूद किया गया, जिसमें ‘वन’ की परिभाषा को शब्दकोशीय अर्थ में समझने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने कहा कि यदि तेलंगाना में ऐसा प्रमाणन किया गया है, तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।
अगली सुनवाई
राज्य सरकार ने कहा कि केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट विस्तृत है और जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए। अदालत ने राज्य को चार सप्ताह का समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई 15 मई 2025 को निर्धारित की है।