A cancer survivor reveals the 'toxic' products she used at home that she gave up after her cancer diagnosis - know what these things are and what experts say
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एक कैंसर सर्वाइवर ने बताए घर में इस्तेमाल होने वाले ‘टॉक्सिक’ प्रोडक्ट्स जिन्हें उन्होंने कैंसर डायग्नोसिस के बाद छोड़ दिया – जानिए क्या हैं ये चीजें और एक्सपर्ट्स की राय

कैंसर एक जटिल और दर्दनाक बीमारी है, जिसकी न तो कोई निश्चित पहचान होती है और न ही इलाज का एक ही तरीका। इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने का एक तरीका है अपने लाइफस्टाइल को हेल्दी बनाना। इसी दिशा में काम कर रही हैं सुसाना डेमोरे, जो एक कंटेंट क्रिएटर और कैंसर सर्वाइवर हैं। उन्हें 35 साल की उम्र में, जब वह प्रेग्नेंट थीं, तब कैंसर हुआ।

उन्होंने बताया, “मेरी बीमारी ने मेरी आंखें खोल दीं कि हम रोजाना कितने जहरीले रसायनों के संपर्क में आते हैं। स्ट्रेस, इंफ्लेमेशन और एनवायरनमेंटल फैक्टर्स हमारी हेल्थ को कितना प्रभावित करते हैं, इसका एहसास तब हुआ।” सुसाना ने इसके बाद अपने घर के कई प्रोडक्ट्स को नॉन-टॉक्सिक विकल्पों से बदल दिया।

उनका मानना है कि अगर आप अपनी सेहत को प्राथमिकता देना चाहते हैं, तो “छोटे लेकिन अर्थपूर्ण बदलाव” करना जरूरी है।

उन्होंने कौन-कौन से प्रोडक्ट्स बदले?

  1. पारंपरिक डियोड्रेंट
    सुसाना ने ऐसे डियोड्रेंट को चुना जो नॉन-टॉक्सिक हो और हार्मोन में गड़बड़ी न पैदा करे।
  2. क्लीनिंग सप्लाई और लॉन्ड्री डिटर्जेंट
    जिनमें केमिकल्स और कैंसर कारक तत्व होते हैं, उन्हें नॉन-टॉक्सिक और नेचुरल विकल्पों से बदला।
  3. फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट
    उन्होंने अब फ्लोराइड, SLS और पैराबेन-फ्री टूथपेस्ट इस्तेमाल करना शुरू किया, जिसमें हाइड्रॉक्सीएपेटाइट (enamel को मजबूत करने वाला मिनरल), प्रीबायोटिक्स और CoQ10 मौजूद हैं।
  4. पारंपरिक शैम्पू
    अब वह ऐसे शैम्पू का उपयोग करती हैं जो पैराबेन और सिंथेटिक खुशबू से मुक्त हो।
  5. केमिकल युक्त स्किनकेयर
    उन्होंने ऐसे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स अपनाए हैं जो EU के सख्त नियमों के अंतर्गत आते हैं और हानिकारक केमिकल्स से मुक्त हैं।
  6. ओवर-द-काउंटर सप्लिमेंट्स
    अब वह केवल हाई-क्वालिटी, टेस्टेड और सेफ सप्लिमेंट्स लेती हैं जो शुगर, ग्लूटन, आर्टिफिशियल डाई, फ्लेवर और GMO से मुक्त हैं।

क्या ये बदलाव कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं?

डॉ. मनींद्र, कंसल्टेंट और प्रमुख, क्रिटिकल केयर, ग्लेनेग्ल्स हॉस्पिटल्स, हैदराबाद का कहना है कि कैंसर डायग्नोसिस के बाद लोग अक्सर अपनी लाइफस्टाइल को लेकर सजग हो जाते हैं।

वह हर बदलाव के पीछे की वजह बताते हैं:

  • डियोड्रेंट: परंपरागत डियोड्रेंट्स में एल्यूमिनियम कंपाउंड और सिंथेटिक फ्रैग्रेंस होते हैं, जो हार्मोनल डिसरप्शन और ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े हो सकते हैं।
  • क्लीनिंग प्रोडक्ट्स: इनमें फ्थेलेट्स, VOCs और अन्य सिंथेटिक केमिकल्स होते हैं, जो सांस की दिक्कत और दीर्घकालिक खतरे पैदा कर सकते हैं।
  • टूथपेस्ट: फ्लोराइड दांतों की सुरक्षा करता है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन डेंटल फ्लोरोसिस और अन्य साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है। हाइड्रॉक्सीएपेटाइट आधारित टूथपेस्ट एक बेहतर विकल्प है।
  • शैम्पू: परंपरागत शैम्पू में पैराबेन और सिंथेटिक खुशबू होती है, जो हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकती है। EU ने कई ऐसे केमिकल्स को पहले ही बैन कर रखा है।
  • स्किनकेयर: त्वचा बहुत कुछ सोख लेती है, इसलिए स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में मौजूद हानिकारक तत्वों से बचना चाहिए।
  • सप्लिमेंट्स: सभी OTC सप्लिमेंट्स समान रूप से सेफ नहीं होते। ऐसे सप्लिमेंट्स लेना चाहिए जो भारी धातु, पेस्टीसाइड्स और माइक्रोब्स के लिए टेस्टेड हों।

निष्कर्ष

हालांकि हर केमिकल का सीधा संबंध कैंसर से नहीं है, लेकिन अनावश्यक केमिकल एक्सपोजर को कम करना हमेशा बेहतर होता है। खासकर उनके लिए जो पहले से कैंसर या किसी पुरानी बीमारी से जूझ चुके हों।

डॉ. मनींद्र कहते हैं, “हर दिन इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स को नॉन-टॉक्सिक विकल्पों से बदलना एक प्रोएक्टिव और प्रिवेंटिव हेल्थ अप्रोच है। इससे शरीर पर केमिकल्स का बोझ कम होता है और लंबे समय में फायदा होता है।”

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।